आजादी_का_अमृत_महोत्सव
आज ही के दिन क्रांतिकारी हवालदार सुलैमान समेत 45 क्रांतीकारीयो को गोली से भुन दिया गया था।
15 फ़रवरी 1915 को सिंगापुर में भारतीय सिपाही अंग्रेज़ो से बग़ावत कर देते हैं, हवालदार सुलैमान, नायक अब्दुल रज़्जाक, नायक ज़फ़र अली ख़ान सहीत 45 सिपाही बग़ावत के जुर्म में लाईन में खड़े कर के गोलीयों से भुन दिये जाते हैं।
वैसे इसी साल 21 जनवरी 1915 को 130 बलूच रेजीमेंट रंगून में बग़ावत कर देती है। मामले को छुपाया जाता है, कितने लोग मरे; ये मंज़र ए आम पर नही लाया जाता है। पर तक़रीबन 200 से अधिक सिपाहीयों का कोर्ट मार्शल होता है, चार को सज़ा ए मौत दी जाती है, 69 को उम्रक़ैद की सज़ा दी गई और बाक़ी बचे 126 सिपाहीयों को अलग अलग सज़ा दी जाती है।
साल 1916 में इराक़ के बसरा में 15वें लॉंसर ने बग़ावत कर दी; जिसके बाद 64 सिपाहीयों का कोर्ट मार्शल होता है, जिसके बाद 24वें पंजाबी और 22वें पहाड़ी रेजिमेंट भी बग़ावत कर देती है।
साल 1917 में मांडालय कांसप्रेसी केस में 3 सिपाहीयों को बग़ावत के जुर्म में सज़ा ए मौत मिलती है। जिसमे जयपुर के रहने वाले मुस्तफ़ा हसन, लुधियाना के अमर सिंह और फ़ैज़ाबाद के अली अहमद का नाम शामिल था। इनके इलावा जिन और लोगों पर बग़ावत का शक था वो हैं मुकसुद्दीन अहमद, ग़यासउद्दीन अहमद, अब्दुल क़तार, नसरुद्दीन और उनकी बेटी रज़िया ख़ातुन।
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Source heritage times
Md Umar Ashraf
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संकलन - अताउल्ला खा रफिक खा पठाण सर टूनकी, संग्रामपुर, बुलढाणा महाराष्ट्र
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