29 मार्च -यौमे शहादत गदर पार्टी के क्रांतिकारी हाफ़िज़ अब्दुल्ला➡️ जिन्हे लाहोर जेल मे फाशी देकर शहीद किया गया।
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क्रांतिकारी हाफ़िज़ अब्दुल्ला 'गदर पार्टी' के उन अमर सेनानियों में से एक हैं जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के हिस्से के रूप में ब्रिटिश अधिकारियों के दिल में इतिहास रच दिया। वह पंजाब राज्य के लुधियाना उपखंड के जगराम के भोजा गांव के निवासी हैं। उनके पिता निज़ामुद्दीन थे। मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले हाफिज अब्दुल्ला रोजी-रोटी की तलाश में देश छोड़कर फिलीपींस पहुंच गए। वह वहां गदर पार्टी की फिलीपीन शाखा के नेताओं के संपर्क में आये। वे गदर पार्टी के नेताओं के प्रभाव में आकर गदर पार्टी के सदस्य भी बने, जिनका मानना था कि मातृभूमि की मुक्ति केवल सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ही संभव है। 1913 में निर्वासित भारतीयों के साथ अमेरिका में शुरू हुई 'गदर पार्टी' ने प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत में ब्रिटेन के लिए बने नकारात्मक माहौल का फायदा उठाया और लोगों और भारतीय सैनिकों को एकजुट करने और ब्रिटिश शासकों के खिलाफ विद्रोह करने का फैसला किया। उस फैसले के मुताबिक गदर पार्टी ने निर्वासित गदर सेनानियों और अन्य क्रांतिकारियों से तुरंत घर लौटने का आह्वान किया है। मुख्य रूप से हथियार और वित्तीय संसाधन प्रदान करके ब्रिटिश भारतीय सेना के रिश्तेदारों को आकर्षित करके लोगों को विद्रोह के लिए प्रोत्साहित करने की तैयारी शुरू कर दी गई। उन तैयारियों के तहत ग़दर पार्टी ने हाफ़िज़ अब्दुल्ला जैसे युवाओं को वापस लाने के लिए कई व्यवस्थाएँ की । फिलीपीनी गदर पार्टी के सेनानियों ने मुक्ति संग्राम के लिए प्रतिबद्ध युवाओं को घर भेजने के लिए तोहामारू नामक एक जहाज स्थापित किया। इस बात की ब्रिटिश सरकार को गुप्त सूचना मिली और गदर क्रांतिकारियों को भारत में कदम रखने से पहले ही हिरासत में लेने की व्यवस्था की गयी। हालाँकि कुछ लोग ब्रिटिश सरकार के जासूसों की नज़र में देश में प्रवेश कर गए। फिलीपींस के गदर सेनानियों के हाफ़िज़ अब्दुल्ला जिस जहाज़ तोहामारू पर यात्रा कर रहे थे वह ब्रिटिश जासूसों की निगरानी से बच नहीं सका। जैसे ही टोहामारू कलकत्ता पहुंचा वैसे ही पुलिस ने हमला कर दिया और गदर सदस्यों को हिरासत में ले लिया। इसने उन लड़ाकों के खिलाफ 'दूसरा पूरक लाहौर षडयंत्र मामला' दर्ज किया है। ऐतिहासिक मामले की सुनवाई के बाद 5 जनवरी, 1917 को हाफिज अब्दुल्ला और अन्य को मौत की सजा सुनाई गई। अंग्रेजी अदालत ने गदर नायकों की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया। उस फैसले के अनुसार गदर सेनानी हाफ़िज़ अब्दुल्ला को 29 मार्च, 1917 को लाहौर जेल में फाँसी दे दी गई।
देश आपके बलिदान के लिये सदैव ऋणी रहेगा।
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संदर्भ -THE IMMORTALS 2
- sayed naseer ahamed (9440241727)
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संकलन तथा अनुवादक लेखक - *अताउल्लाखा रफिक खा पठाण सर*
सेवानिवृत्त शिक्षक
टूनकी बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726
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