जलगांव (अकिल ख़ान ब्यावली)
अपने देश भारत का संविधान सभी धर्मों की समानता का सम्मान करता है और दूसरों की धार्मिक भावनाओं का भी विशेष सम्मान करता है, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (गरीब नवाज) रजि़ की पवित्र दरगाह आस्ताना गत 800 (आठ सौ) वर्षों से अजमेर शरीफ में सांप्रदायिक एकता, सांप्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रीय एकता का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु रहा है और दुनिया भर से विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के लोग इस आस्ताने, दरगाह पर आते हैं.दरगाह में किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जाता है.
इसके उपरांत एक अलग विचारधारा के कुछ लोग अदालत में गए और दावा किया कि यह दरगाह दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल पर बनी है और अदालत ने दरगाह का सर्वेक्षण करने की सहमति दे दी. जब की हमारे संविधान में यह भी कहा गया है वरशीप एक्ट के अंतर्गत सभी धर्मों के पवित्र स्थलों,को संरक्षण प्रदान किया जाएगा, इस संबंध में कोर्ट में कोई सुनवाई नहीं होगी. क्योंकि ऐसे दावे करने वाले लोग पूरे देश में एक नया विवाद खड़ा कर रहे हैं और इससे धर्मों में दरार पैदा हो रही है और यह हरकत यहां के निवासियों के लिए उपयुक्त नहीं है, इसलिए अजमेर शरीफ का आस्ताना ,दरगाह और अन्य सभी धार्मिक स्थलों को पूजा अधिनियम 1991 के अंतर्गत संरक्षित किया जाना चाहिए. इस मांग को लेकर 29/11/2024 शुक्रवार दोपहर "भीलपुरा हैंड्स"ने भारतीय संविधान प्रेमी मुस्लिम भाइयों की ओर से जलगांव शहर में हस्ताक्षर अभियान चलाकर महामहिम राष्ट्रपति, भारत सरकार नई दिल्ली को संबोधित कर कलेक्टर जलगांव जिला के माध्यम से हस्ताक्षर युक्त एक निवेदन भेजा और अनुरोध किया कि पूजा अधिनियम 1991 के अनुसार न्याय दिया जाए और ऐसी याचिका को जल्द से जल्द अदालत से खारिज कर दिया जाए, जिस से सामाजिक शांतता को खतरा हो और देश का वातावरण खराब हो,इस अवसर पर सै.अयाज अली नियाज़ अली, हाजी राशिद कुरेशी, अफजल मनियार, अहमद ठेकेदार, नूरा पहलवान, नाजिम पेंटर, शफी ठेकेदार, नूर मोहम्मद आदि उपस्थित थे.
फोटो:-हस्ताक्षर अभियान के अवसर पर सै.अयाज अली नियाज़ अली, हाजी बरतर हुसैन आदि.
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