आज की सबसे बड़ी चुनौती "बढ़ता स्ट्रेस और डिप्रेशन"

आज के तेज़ रफ्तार जीवन में इंसान भौतिक रूप से जितना आगे बढ़ रहा है, मानसिक रूप से उतना ही पीछे छूटता जा रहा है। टेक्नोलॉजी, सोशल मीडिया, करियर की दौड़ और व्यक्तिगत संबंधों की उलझनें मिलकर ऐसा जाल बुन रही हैं, जिसमें युवा ही नहीं, हर आयु वर्ग के लोग फँसते जा रहे हैं। स्ट्रेस (तनाव) और डिप्रेशन (अवसाद) आज की सबसे गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ बन चुकी हैं।

*क्या होता है स्ट्रेस और डिप्रेशन?*
स्ट्रेस शरीर और दिमाग की वह प्रतिक्रिया है जो किसी चुनौतीपूर्ण स्थिति के सामने आने पर होती है — जैसे परीक्षा, नौकरी की चिंता, आर्थिक समस्याएं, या निजी जीवन की उलझनें।
डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति लगातार उदासी, निराशा और ऊर्जा की कमी महसूस करता है। यह कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों तक चल सकती है और गंभीर स्थिति में आत्महत्या के विचार तक आ सकते हैं।

*मुख्य कारण*
बढ़ती प्रतिस्पर्धा: नौकरी, पढ़ाई और सामाजिक मान्यता के दबाव ने युवाओं को सबसे अधिक प्रभावित किया है।
संबंधों में खटास: टूटते रिश्ते, तलाक, अकेलापन और सोशल मीडिया पर झूठी परफेक्ट ज़िंदगी की तुलना।
अतीत का बोझ: बचपन का ट्रॉमा, असफलताएँ, या अपराधबोध लंबे समय तक दिमाग पर असर डालते हैं।
अनियमित दिनचर्या: नींद की कमी, असंतुलित खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी।
डिजिटल ओवरलोड: हर समय मोबाइल, ईमेल, सोशल मीडिया की अधूरी दुनिया में खो जाना।

 *स्ट्रेस और डिप्रेशन के सामान्य लक्षण*
हमेशा थकावट महसूस करना
छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन
आत्म-विश्वास की कमी
अनिद्रा या बहुत ज्यादा सोना
भूख में बदलाव
आत्महत्या के विचार आना (डिप्रेशन की गंभीर स्थिति में)

*समाधान और बचाव के उपाय*

*1.रोज़ का रूटीन सुधारें*
हर दिन एक निश्चित समय पर सोना, जागना, भोजन और एक्सरसाइज़ करने से मानसिक संतुलन बनता है।

 *2. डिजिटल डिटॉक्स*
हर दिन कम से कम 1-2 घंटे मोबाइल और सोशल मीडिया से दूर रहें। हकीकत की ज़िंदगी से जुड़िए।

 *3. फिज़िकल एक्टिविटी ज़रूरी है*
योग, ध्यान, वॉकिंग या कोई भी खेल मानसिक थकान को कम करता है और एंडॉर्फिन रिलीज़ करता है — जो “हैप्पी हार्मोन” कहलाते हैं।

 *4. बात करें, चुप न रहें*
किसी अपने से बात कीजिए। दोस्तों, माता-पिता, या काउंसलर से बात करने से मन हल्का होता है।

 *5. कोई हॉबी अपनाइए*
ड्रॉइंग, म्यूजिक, डांस, किताबें पढ़ना या कुछ नया सीखना — ये आपको खुद से जोड़ते हैं और जीवन में आशा लाते हैं।

*6. प्रोफेशनल मदद लेने से न डरें*
अगर स्थिति हाथ से निकल रही हो, तो साइकोलॉजिस्ट या सायकैट्रिस्ट से परामर्श लें। यह कमजोरी नहीं, समझदारी है।

*7. खुद से प्यार करना सीखिए*
हम हर दिन दूसरों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश में लगे रहते हैं, लेकिन खुद के मन की सुनना भूल जाते हैं। याद रखिए, आपकी मानसिक शांति सबसे बड़ी दौलत है। जीवन अनमोल है, और हर परेशानी का हल संभव है — बस एक कदम आगे बढ़ाने की जरूरत है।

अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति चुप रहता है, अकेला महसूस करता है, या व्यवहार में बदलाव दिख रहा है — तो उससे बात करें, उसे सुनें। कभी-कभी एक दोस्त का साथ, ज़िंदगी बचा सकता है।

"हर सुबह एक नई शुरुआत है, हर साँस एक नई उम्मीद है। अंधेरों से मत डर, तू खुद एक रौशनी की लकीर है।" 
*लेखक*
कमलेश डाभी (राजपूत)
 पाटन, गुजरात

*आलेख सहयोग*
चंद्रकांत सी पूजारी 
महुवा सुरत,गुजरात 

*आलेख प्रसिद्धी सहयोग*
समता मीडिया सर्व्हिसेस
 श्रीरामपूर - 9561174111

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किरण डहाळे

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